बुधवार, 7 सितंबर 2011

Kehne Ko Bahut Kuch Hai

सच है कहने को बहुत कुछ है लेकिन कहें किस से कभी कभार समझ ही नहीं आत्ता है!
सोचा क्यूँ ना सबसे कह दूं और शुरू हुआ है यह सिलसिला ब्लॉग्गिंग का ..... पता नहीं क्या क्या कहना है